श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 81: भगवान् द्वारा सुदामा ब्राह्मण को वरदान  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  10.81.25 
 
 
पतिमागतमाकर्ण्य पत्न्‍युद्धर्षातिसम्भ्रमा ।
निश्चक्राम गृहात्तूर्णं रूपिणी श्रीरिवालयात् ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  जब ब्राह्मण की पत्नी ने सुना कि उसका पति आ गया है, तो वह खुशी से झूम उठी और घर से भागकर बाहर आई। वह मानो स्वयं भगवान लक्ष्मी थीं जो अपने दिव्य निवास से बाहर निकल रही हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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