श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 79: भगवान् बलराम की तीर्थयात्रा  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  10.79.34 
 
 
योऽनुस्मरेत रामस्य कर्माण्यद्भ‍ुतकर्मण: ।
सायं प्रातरनन्तस्य विष्णो: स दयितो भवेत् ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  अनन्त भगवान् बलराम जी की समस्त लीलाएं अद्भुत हैं। जो कोई भी प्रतिदिन प्रातः और संध्या के समय उनका नियमित स्मरण करता है, वह भगवान् श्री विष्णु जी का अत्यंत प्रिय हो जाता है।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत उनासी अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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