श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 79: भगवान् बलराम की तीर्थयात्रा  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  10.79.33 
 
 
ईद‍ृग्विधान्यसङ्ख्यानि बलस्य बलशालिन: ।
अनन्तस्याप्रमेयस्य मायामर्त्यस्य सन्ति हि ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  असीम और अपरिमित परमेश्वर, बलशाली भगवान बलराम द्वारा असंख्य अन्य लीलाएँ सम्पन्न की गईं, जो अपनी योगमाया शक्ति से मनुष्य के रूप में प्रकट होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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