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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 79: भगवान् बलराम की तीर्थयात्रा
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श्लोक 30
श्लोक
10.79.30
तं पुनर्नैमिषं प्राप्तमृषयोऽयाजयन् मुदा ।
क्रत्वङ्गं क्रतुभि: सर्वैर्निवृत्ताखिलविग्रहम् ॥ ३० ॥
अनुवाद
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फिर बाद में श्री बलरामजी नैमिषारण्य में लौट आए, जहाँ ऋषियों ने उन्हे, जो यज्ञ के स्वरूप हैं, बहुत प्रसन्नता के साथ अनेक प्रकार के वैदिक यज्ञ करवाए। अब बलरामजी समस्त युद्धों से निवृत्त हो चुके थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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