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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 79: भगवान् बलराम की तीर्थयात्रा
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श्लोक 25
श्लोक
10.79.25
गदापाणी उभौ दृष्ट्वा संरब्धौ विजयैषिणौ ।
मण्डलानि विचित्राणि चरन्ताविदमब्रवीत् ॥ २५ ॥
अनुवाद
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भगवान बलराम ने देखा कि दुर्योधन और भीम अपने-अपने हाथों में गदाएँ लिए हुए थे और कुशलता से चक्कर लगाते हुए एक-दूसरे पर विजय पाने के लिए गुस्से में भरकर प्रयास कर रहे थे। भगवान ने उन्हें इस प्रकार संबोधित किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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