निरुध्य सेनया शाल्वो महत्या भरतर्षभ ।
पुरीं बभञ्जोपवनानुद्यानानि च सर्वश: ॥ ९ ॥
सगोपुराणि द्वाराणि प्रासादाट्टालतोलिका: ।
विहारान् स विमानाग्र्यान्निपेतु: शस्त्रवृष्टय: ॥ १० ॥
शिला द्रुमाश्चाशनय: सर्पा आसारशर्करा: ।
प्रचण्डश्चक्रवातोऽभूद् रजसाच्छादिता दिश: ॥ ११ ॥
अनुवाद
हे भरतश्रेष्ठ, शाल्व ने विशाल सेना के साथ नगर को घेर लिया और बाहरी वाटिकाओं तथा उद्यानों, अट्टालिकाओं समेत महलों, गोपुरों तथा चार दीवारियों के साथ साथ सार्वजनिक मनोरंजन स्थलों को भी ध्वस्त कर दिया। उसने अपने इस उत्कृष्ट यान से पत्थरों, वृक्ष के तनों, वज्रों, सर्पों, ओलों इत्यादि हथियारों की वर्षा की। एक भीषण बवंडर उठ खड़ा हुआ और उसने धूल से सारी दिशाओं को ओझल बना दिया।