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अध्याय 76: शाल्व तथा वृष्णियों के मध्य युद्ध
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श्लोक 7
श्लोक
10.76.7
तथेति गिरिशादिष्टो मय: परपुरंजय: ।
पुरं निर्माय शाल्वाय प्रादात्सौभमयस्मयम् ॥ ७ ॥
अनुवाद
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शिवजी ने कहा, "ऐसा ही हो।" उनके आदेश से, अपने शत्रुओं के नगरों को जीत लेने वाले मय दानव ने एक लोहे की उडऩ नगरी बनाई, जिसका नाम सौभ था और लाकर शाल्व को भेंट कर दी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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