श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 76: शाल्व तथा वृष्णियों के मध्य युद्ध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.76.5 
 
 
संवत्सरान्ते भगवानाशुतोष उमापति: ।
वरेणच्छन्दयामास शाल्वं शरणमागतम् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान उमापति भले ही आशुतोष कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी शरण में आये शाल्व को एक साल तक प्रतीक्षा करवाई और फिर वरदान माँगने को कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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