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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 76: शाल्व तथा वृष्णियों के मध्य युद्ध
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श्लोक 33
श्लोक
10.76.33
एतद्विदित्वा तु भवान्मयापोवाहितो रणात् ।
उपसृष्ट: परेणेति मूर्च्छितो गदया हत: ॥ ३३ ॥
अनुवाद
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इस नियम को ध्यान में रखते हुए मैंने आपको युद्ध के मैदान से हटा लिया, जहाँ आप अपने शत्रु के गदा से आहत होकर बेहोश हो गए थे और मुझे लगा कि आप बुरी तरह से घायल हैं।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत छिहत्तर अध्याय समाप्त होता है ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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