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अध्याय 76: शाल्व तथा वृष्णियों के मध्य युद्ध
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श्लोक 30
श्लोक
10.76.30
किं नु वक्ष्येऽभिसङ्गम्य पितरौ रामकेशवौ ।
युद्धात्सम्यगपक्रान्त: पृष्टस्तत्रात्मन: क्षमम् ॥ ३० ॥
अनुवाद
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जब मैं बस यूँ ही युद्ध से भाग कर अपने पिता, राम और केशव के पास वापस जाऊँगा, तो उनसे क्या कहूँगा? मैं उनसे क्या ऐसा कह सकता हूँ जो मेरे सम्मान के अनुरूप हो?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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