श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 76: शाल्व तथा वृष्णियों के मध्य युद्ध  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.76.24 
 
 
शरैरग्‍न्यर्कसंस्पर्शैराशीविषदुरासदै: ।
पीड्यमानपुरानीक: शाल्वोऽमुह्यत्परेरितै: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  अपने शत्रु के वाणों से परेशान होती अपनी सेना और हवाई शहर को देखकर शाल्व भ्रमित हो गया, क्योंकि शत्रु के बाण आग और सूरज की तरह प्रहार कर रहे थे और सांप के जहर की तरह असहनीय हो रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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