बहुरूपैकरूपं तद् दृश्यते न च दृश्यते ।
मायामयं मयकृतं दुर्विभाव्यं परैरभूत् ॥ २१ ॥
अनुवाद
मय दानव द्वारा निर्मित यह मायावी विमान कभी अनेक समान स्वरूपों में दिखाई देता, तो कभी यह केवल एक ही स्वरूप में दिखाई देता था। कभी यह दिखाई देता, तो कभी यह अदृश्य हो जाता। इस प्रकार शाल्व के विरोधी कभी यह निश्चित नहीं कर पाते थे कि वह कहाँ है।