विव्याध पञ्चविंशत्या स्वर्णपुङ्खैरयोमुखै: ।
शाल्वस्य ध्वजिनीपालं शरै: सन्नतपर्वभि: ॥ १८ ॥
शतेनाताडयच्छाल्वमेकैकेनास्य सैनिकान् ।
दशभिर्दशभिर्नेतृन् वाहनानि त्रिभिस्त्रिभि: ॥ १९ ॥
अनुवाद
प्रद्युम्न के सारे बाणों में सोने का पुछल्ला, लोहे का सिरा और एकदम चिकना जोड़ था। उसने पच्चीस बाणों से शाल्व के सेनापति द्युमान को मार गिराया और एक सौ बाणों से शाल्व पर वार किया। इसके बाद उसने शाल्व के हर अधिकारी को एक-एक बाण से, सारथियों में से प्रत्येक को दस-दस बाणों से और उसके घोड़ों एवं अन्य वाहनों को तीन-तीन बाणों से छेद डाला।