वर्णितं तदुपाख्यानं मया ते बहुविस्तरम् ।
वैकुण्ठवासिनोर्जन्म विप्रशापात् पुन: पुन: ॥ ५० ॥
अनुवाद
मैं पहले ही तुम्हें वैकुण्ठ के दो निवासियों के बारे में विस्तार से बता चुका हूँ, जिन्हें ब्राह्मणों द्वारा शापित होने के कारण भौतिक दुनिया में बार-बार जन्म लेना पड़ा।