श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 74: राजसूय यज्ञ में शिशुपाल का उद्धार  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  10.74.47 
 
 
ऋत्विग्भ्य: ससदस्येभ्यो दक्षिणां विपुलामदात् ।
सर्वान् सम्पूज्य विधिवच्चक्रेऽवभृथमेकराट् ॥ ४७ ॥
 
अनुवाद
 
  सम्राट युधिष्ठिर ने यज्ञ के पुरोहितों और सभा सदस्यों को उदारतापूर्वक उपहार दिए और वेदों में बताए गए तरीके से उन सभी का सम्मान किया। इसके बाद उन्होंने अवभृथा स्नान किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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