तावदुत्थाय भगवान् स्वान् निवार्य स्वयं रुषा ।
शिर: क्षुरान्तचक्रेण जहारपततो रिपो: ॥ ४३ ॥
अनुवाद
तब परमेश्वर खड़े हो गए और उन्होंने अपने भक्तों को रोका। इसके बाद क्रोधित होकर उन्होंने अपने तेज धार वाले चक्र को चलाया और आक्रमण कर रहे शत्रु का सिर काट दिया।