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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 74: राजसूय यज्ञ में शिशुपाल का उद्धार
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श्लोक 38
श्लोक
10.74.38
एवमादीन्यभद्राणि बभाषे नष्टमङ्गल: ।
नोवाच किञ्चिद्भगवान्यथा सिंह: शिवारुतम् ॥ ३८ ॥
अनुवाद
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[शुकदेव गोस्वामी ने कहा:] सम्पूर्ण सौभाग्य से वंचित शिशुपाल ऐसे ही तथा अन्य अपमानसूचक शब्द बोलता रहा, किन्तु भगवान् ने कुछ भी नहीं कहा, जिस प्रकार सिंह सियार की आवाज़ की परवाह नहीं करता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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