श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 74: राजसूय यज्ञ में शिशुपाल का उद्धार  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  10.74.37 
 
 
ब्रह्मर्षिसेवितान् देशान् हित्वैतेऽब्रह्मवर्चसम् ।
समुद्रं दुर्गमाश्रित्य बाधन्ते दस्यव: प्रजा: ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  इन यादवों ने ब्रह्मर्षियों द्वारा बसाई गई पवित्र भूमि को त्यागकर समुद्र में एक किले में शरण ली है, जहाँ ब्राह्मण-नियमों का पालन नहीं किया जाता। वहाँ ये डाकुओं की तरह अपनी प्रजा को लूटते और सताते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.