श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 74: राजसूय यज्ञ में शिशुपाल का उद्धार  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  10.74.30 
 
 
इत्थं निशम्य दमघोषसुत: स्वपीठा-
दुत्थाय कृष्णगुणवर्णनजातमन्यु: ।
उत्क्षिप्य बाहुमिदमाह सदस्यमर्षी
संश्रावयन् भगवते परुषाण्यभीत: ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  दमघोष के अधीर और असहिष्णु पुत्र ने भगवान श्री कृष्ण के दिव्य गुणों की प्रशंसा सुनकर क्रोध में आकर अपनी सीट से खड़े होकर गुस्से में हाथ हिलाते हुए पूरी सभा के सामने भगवान के विरुद्ध निम्नलिखित कठोर शब्द कहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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