भगवान कृष्ण के चरण पखारकर राजा युधिष्ठिर ने हर्षित होकर उस जल को अपने सिर पर व तत्पश्चात अपनी पत्नी, भाइयों, अन्य कुटुंबियों तथा मंत्रियों के सिर पर छिड़का। वह जल सारे संसार को पवित्र करने वाला है। जब वे पीले रेशमी वस्त्रों एवं मूल्यवान रत्नों से जड़े हुए आभूषणों की भेंट देकर प्रभु का सत्कार कर रहे थे, तब राजा के अश्रुओं से भरी आँखें उन्हें प्रभु को सीधे देखने से रोक रही थीं।