श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 74: राजसूय यज्ञ में शिशुपाल का उद्धार  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  10.74.25 
 
 
इत्युक्त्वा सहदेवोऽभूत् तूष्णीं कृष्णानुभाववित् ।
तच्छ्रुत्वा तुष्टुवु: सर्वे साधु साध्विति सत्तमा: ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  [शुकदेव गोस्वामी ने कहा] : इतना कहकर, भगवान श्री कृष्ण की शक्तियों को अच्छी तरह समझने वाले सहदेव चुप हो गए। और उनके शब्दों को सुनकर वहाँ मौजूद सभी साधु-संतों ने “वाह! बहुत अच्छा” कहकर उनकी सराहना की।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.