श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 73: बन्दी-गृह से छुड़ाये गये राजाओं को कृष्ण द्वारा आशीर्वाद  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  10.73.8 
 
 
राजान ऊचु:
नमस्ते देवदेवेश प्रपन्नार्तिहराव्यय ।
प्रपन्नान् पाहि न: कृष्ण निर्विण्णान्घोरसंसृते: ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  राजाओं ने कहा : हे शासक देवताओं के स्वामी, हे शरण में आए भक्तों के दुःखों को नष्ट करने वाले, हम आपको प्रणाम करते हैं। चूँकि हमने आपका आश्रय लिया है, अत: हे अविनाशी कृष्ण, हमें इस भयानक भौतिक जीवन से बचाओ, जिसने हमें इतना निराश कर दिया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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