श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 73: बन्दी-गृह से छुड़ाये गये राजाओं को कृष्ण द्वारा आशीर्वाद  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  10.73.33 
 
 
तच्छ्रुत्वा प्रीतमनस इन्द्रप्रस्थनिवासिन: ।
मेनिरे मागधं शान्तं राजा चाप्तमनोरथ: ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  उस ध्वनि को सुनकर इंद्रप्रस्थ के निवासी अत्यंत प्रसन्न हुए, क्योंकि वे समझ गए कि मगध के राजा का अब अंत हो गया है। राजा युधिष्ठिर ने अनुभव किया कि अब उनके मनोरथ सिद्ध हो गए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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