श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 73: बन्दी-गृह से छुड़ाये गये राजाओं को कृष्ण द्वारा आशीर्वाद  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  10.73.28 
 
 
रथान्सदश्वानारोप्य मणिकाञ्चनभूषितान् ।
प्रीणय्य सुनृतैर्वाक्यै: स्वदेशान् प्रत्ययापयत् ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् प्रभु ने राजाओं को सुंदर घोड़ों से खींचे जाने वाले रथों पर सवार करवाया, जो बहुमूल्य मणियों और सोने से सुशोभित थे। उन्होंने राजाओं को प्रसन्न करने वाले मधुर शब्द कहे और उन्हें उनके राज्य में वापस भेज दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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