श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 73: बन्दी-गृह से छुड़ाये गये राजाओं को कृष्ण द्वारा आशीर्वाद  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  10.73.20 
 
 
हैहयो नहुषो वेणो रावणो नरकोऽपरे ।
श्रीमदाद् भ्रंशिता: स्थानाद् देवदैत्यनरेश्वरा: ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  हैहय, नहुष, वेण, रावण, नरक एवं देवताओं, मानवों और असुरों के अनेक अन्य शासक भौतिक ऐश्वर्य के मद में चूर हो जाने के कारण अपने-अपने उच्च पदों से गिर गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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