श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 72: जरासन्ध असुर का वध  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  10.72.27 
 
 
इत्युदारमति: प्राह कृष्णार्जुनवृकोदरान् ।
हे विप्रा व्रियतां कामो ददाम्यात्मशिरोऽपि व: ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  [शुकदेव गोस्वामी बोले] : इस तरह निर्णय लेते हुए उदार जरासंध ने कृष्ण, अर्जुन और भीम से कहा: "हे विद्वान ब्राह्मणों, तुम जो चाहो चुन सकते हो। मैं तुम्हें दूँगा, फिर चाहे अपना सिर ही क्यों न देना पड़े।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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