राज्य युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण के विश्राम की व्यवस्था की और सुनिश्चित किया कि उनके साथ आये सभी लोगों—जैसे कि उनकी रानियाँ, सैनिक, मंत्री और सचिव—को आरामदायक ठिकाना मिले। उन्होंने ऐसा प्रबंध किया कि जब तक वे पाण्डवों के मेहमान रहेंगे, हर दिन उनका स्वागत नई तरह से हो।