अपनी सास के आग्रह से प्रेरित द्रौपदी ने भगवान् कृष्ण की पत्नियों-रुक्मिणी, सत्यभामा, भद्रा, जाम्बवती, कालिन्दी, शिबि की वंशजा मित्रविन्दा, सती नाग्नजिती और वहाँ पर उपस्थित भगवान् की अन्य रानियों को प्रणाम किया। द्रौपदी ने उन्हें वस्त्र, फूल-मालाएँ और रत्नाभूषण जैसे उपहार देकर उनका सम्मान किया।