श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 71: भगवान् की इन्द्रप्रस्थ यात्रा  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  10.71.35 
 
 
ऊचु: स्‍त्रिय: पथि निरीक्ष्य मुकुन्दपत्नी-
स्तारा यथोडुपसहा: किमकार्यमूभि: ।
यच्चक्षुषां पुरुषमौलिरुदारहास-
लीलावलोककलयोत्सवमातनोति ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  चंद्रमा के साथ सितारों जैसे मुकुंद की पत्नियों को सड़क पर गुजरते देखकर स्त्रियाँ जोर-जोर से चिल्ला उठीं, "इन स्त्रियों ने कैसा पुण्य किया है कि श्रेष्ठतम पुरुष अपनी दयालु मुस्कान और चंचल भौंहों द्वारा उनकी आंखों को आनंदित कर रहे हैं?"
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.