इंद्रप्रस्थ की सड़कें हाथियों के मस्तक से निकलने वाले सुगन्धित द्रव से छिड़के जाने से सुवासित थीं। रंग-बिरंगे झण्डे, सुनहरे प्रवेश द्वार और लबालब भरे जल-पात्र नगर की शोभा बढ़ा रहे थे। पुरुष और जवान लड़कियां सुन्दर और नए वस्त्रों से सजी थीं, फूलों की मालाओं और आभूषणों से सुसज्जित थीं और सुगन्धित चंदन के लेप से उनका शरीर सुगन्धित था। प्रत्येक घर जगमगाते दीयों और विनम्र भेंटों से भरा था, और जालीदार खिड़कियों के छेदों से अगरबत्ती की सुगन्ध आ रही थी, जिससे नगर की सुन्दरता और भी बढ़ रही थी। झण्डे लहरा रहे थे और छतों को चाँदी के चौड़े आधारों पर रखे सुनहरे कलशों से सजाया गया था। इस प्रकार भगवान कृष्ण ने कुरु राजा के राजसी नगर को देखा।