श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 71: भगवान् की इन्द्रप्रस्थ यात्रा  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  10.71.28 
 
 
अर्जुनेन परिष्वक्तो यमाभ्यामभिवादित: ।
ब्राह्मणेभ्यो नमस्कृत्य वृद्धेभ्यश्च यथार्हत: ।
मानिनो मानयामास कुरुसृञ्जयकैकयान् ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  जब अर्जुन ने एक बार फिर भगवान कृष्ण से आलिंगन किया और नकुल व सहदेव ने उन्हें साष्टांग नमन किया, तब श्रीकृष्ण ने ब्राह्मणों और मौजूद बुजुर्गों को प्रणाम किया। इस प्रकार उन्होंने कुरु, सृंजय और कैकय वंशों के सम्मानित सदस्यों का सम्मान किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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