तं मातुलेयं परिरभ्य निर्वृतो
भीम: स्मयन् प्रेमजलाकुलेन्द्रिय: ।
यमौ किरीटी च सुहृत्तमं मुदा
प्रवृद्धबाष्पा: परिरेभिरेऽच्युतम् ॥ २७ ॥
अनुवाद
तब भीम ने नेत्रों में आँसुओं से भरे अपनें ममेरे भाई, कृष्ण को गले लगाया और फिर खुशी से हँस पड़े। अर्जुन और जुड़वाँ भाई - नकुल और सहदेव ने भी अपने सबसे प्रिय मित्र, अच्युत भगवान, को खुशी से गले लगाया और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे।