भगवान कृष्ण का नित्य रूप लक्ष्मी जी का सनातन निवास है। जैसे ही युधिष्ठिर ने उनका आलिंगन किया, वे सारे भौतिक कलुष से मुक्त हो गए। उन्हें तुरंत दिव्य आनंद की अनुभूति हुई और वे सुख के सागर में लीन हो गए। उनकी आँखों में आँसू आ गए और भाव-विभोर होकर उनका शरीर थरथराने लगा। वे पूरी तरह से भूल गए कि वे इस भौतिक जगत में रह रहे हैं।