श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 71: भगवान् की इन्द्रप्रस्थ यात्रा  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.71.24 
 
 
गीतवादित्रघोषेण ब्रह्मघोषेण भूयसा ।
अभ्ययात्स हृषीकेशं प्राणा: प्राणमिवाद‍ृत: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  वैदिक स्तुतियों की ऊँची ध्वनि के साथ-साथ गीत तथा संगीत-वाद्य बज उठे और राजा बहुत अधिक सम्मान के साथ भगवान् हृषीकेश से मिलने के लिए आगे बढ़े, ठीक उसी तरह जैसे इन्द्रियाँ प्राणों से मिलने के लिए जाती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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