श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 71: भगवान् की इन्द्रप्रस्थ यात्रा  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  10.71.23 
 
 
तमुपागतमाकर्ण्य प्रीतो दुर्दर्शनं नृणाम् ।
अजातशत्रुर्निरगात् सोपध्याय: सुहृद्‌वृत: ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  राजा युधिष्ठिर ने सुना कि जिन भगवान् के दर्शन पाना बहुत दुर्लभ है, वे अब आ चुके हैं तो वे बहुत प्रसन्न हुए। भगवान् कृष्ण से मिलने के लिए राजा अपने पुरोहितों और प्रिय साथियों के साथ बाहर आए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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