श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 71: भगवान् की इन्द्रप्रस्थ यात्रा  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.71.22 
 
 
ततो द‍ृषद्वतीं तीर्त्वा मुकुन्दोऽथ सरस्वतीम् ।
पञ्चालानथ मत्स्यांश्च शक्रप्रस्थमथागमत् ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  दृषदूती और सरस्वती नदियाँ पार करने के बाद वे पंचाल और मत्स्य प्रदेशों से गुजरे और अंत में इन्द्रप्रस्थ पहुँचे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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