श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 71: भगवान् की इन्द्रप्रस्थ यात्रा  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  10.71.21 
 
 
आनर्तसौवीरमरूंस्तीर्त्वा विनशनं हरि: ।
गिरीन् नदीरतीयाय पुरग्रामव्रजाकरान् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  आनर्त, सौवीर, मरुदेश और विनाशन प्रांतों से होते हुए भगवान हरि ने नदियां पार कीं और वे पहाड़ों, शहरों, गांवों, चरागाहों और खदानों से होकर गुजरे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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