श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 71: भगवान् की इन्द्रप्रस्थ यात्रा » श्लोक 2 |
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| | श्लोक 10.71.2  | श्रीउद्धव उवाच
यदुक्तमृषिना देव साचिव्यं यक्ष्यतस्त्वया ।
कार्यं पैतृष्वस्रेयस्य रक्षा च शरणैषिणाम् ॥ २ ॥ | | | अनुवाद | श्री उद्धव ने कहा : हे प्रभु, ऋषि के बताए अनुसार, आपको अपने चचेरे भाई युधिष्ठिर की राजसूय यज्ञ कराने की योजना में सहायता करनी चाहिए। साथ ही, जो राजा आपसे सहायता मांग रहे हैं, उनकी रक्षा भी आपको करनी चाहिए। | | श्री उद्धव ने कहा : हे प्रभु, ऋषि के बताए अनुसार, आपको अपने चचेरे भाई युधिष्ठिर की राजसूय यज्ञ कराने की योजना में सहायता करनी चाहिए। साथ ही, जो राजा आपसे सहायता मांग रहे हैं, उनकी रक्षा भी आपको करनी चाहिए। |
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