भगवान की सेना राजसी छत्रों, चमर-पंखों और विशाल ध्वज-दंडों वाली फहरती पताकाओं से युक्त थी। सूर्य की किरणें सैनिकों के उत्तम हथियारों, गहनों, किरीटों और कवचों पर चमक रही थीं। इस प्रकार, जय-जयकार और शोर करती हुई भगवान कृष्ण की सेना उस समुद्र की तरह प्रतीत हो रही थी, जिसमें उग्र लहरें और तिमिंगल मछलियाँ हलचल मचा रही हों।