श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 70: भगवान् कृष्ण की दैनिक चर्या  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  10.70.46 
 
 
श्रीभगवानुवाच
त्वं हि न: परमं चक्षु: सुहृन्मन्त्रार्थतत्त्ववित् ।
अथात्र ब्रूह्यनुष्ठेयं श्रद्दध्म: करवाम तत् ॥ ४६ ॥
 
अनुवाद
 
  ईश्वरीय व्यक्तित्व ने कहा: निस्संदेह तुम हमारी सबसे अच्छी नजर और सबसे करीबी दोस्त हो, क्योंकि विविध प्रकार की ज्ञानसभरी सलाहों को बखूबी समझते हो। इसलिए हमें बताओ कि हम इस स्थिति में क्या करें। हमें तुम्हारे निर्णय पर भरोसा है और जैसा तुम कहोगे हम वैसा ही करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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