श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 70: भगवान् कृष्ण की दैनिक चर्या  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  10.70.43 
 
 
श्रवणत्कीर्तनाद् ध्यानात्पूयन्तेऽन्तेवसायिन: ।
तव ब्रह्ममयस्येश किमुतेक्षाभिमर्शिन: ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, जब जाति से निकाले गए (अंत्यज) लोग भी आपके यश का श्रवण, कीर्तन तथा ध्यान करके शुद्ध हो जाते हैं तो फिर उनका क्या कहना जो आपको देखते और स्पर्श करते हैं?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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