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अध्याय 70: भगवान् कृष्ण की दैनिक चर्या
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श्लोक 41
श्लोक
10.70.41
यक्ष्यति त्वां मखेन्द्रेण राजसूयेन पाण्डव: ।
पारमेष्ठ्यकामो नृपतिस्तद् भवाननुमोदताम् ॥ ४१ ॥
अनुवाद
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राजा युधिष्ठिर एकछत्र सत्ता की अभिलाषा से राजसूय नामक महान यज्ञ द्वारा आपकी आराधना करना चाहते हैं। उनकी इस इच्छा की पूर्ति के लिए कृपा करके उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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