श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 70: भगवान् कृष्ण की दैनिक चर्या  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  10.70.33 
 
 
तं द‍ृष्ट्वा भगवान् कृष्ण: सर्वलोकेश्वरेश्वर: ।
ववन्द उत्थित: शीर्ष्णा ससभ्य: सानुगो मुदा ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान श्रीकृष्ण, जो ब्रह्मा और शिव जैसे लोकों के स्वामी भी पूजनीय हैं, जैसे ही उन्होंने नारद मुनि को आते हुए देखा, तो वे अपने सचिवों और मंत्रियों के साथ महर्षि का स्वागत करने के लिए सहर्ष खड़े हो गए और उन्हें सम्मानपूर्वक नमन करने के लिए अपना सिर झुकाया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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