वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 70: भगवान् कृष्ण की दैनिक चर्या
»
श्लोक 32
श्लोक
10.70.32
श्रीशुक उवाच
राजदूते ब्रुवत्येवं देवर्षि: परमद्युति: ।
बिभ्रत्पिङ्गजटाभारं प्रादुरासीद् यथा रवि: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा : राजा के द्वारा भेजा हुआ दूत जब इस प्रकार कह चुका, तभी देवर्षि नारद अचानक प्रकट हुए। मस्तक पर स्वर्णिम जटाओं का जूड़ा धारण किये परम तेजस्वी ऋषि नारद, चमकते सूर्य की भाँति दिखाई दे रहे थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.