श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 70: भगवान् कृष्ण की दैनिक चर्या  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  10.70.32 
 
 
श्रीशुक उवाच
राजदूते ब्रुवत्येवं देवर्षि: परमद्युति: ।
बिभ्रत्पिङ्गजटाभारं प्रादुरासीद् यथा रवि: ॥ ३२ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा : राजा के द्वारा भेजा हुआ दूत जब इस प्रकार कह चुका, तभी देवर्षि नारद अचानक प्रकट हुए। मस्तक पर स्वर्णिम जटाओं का जूड़ा धारण किये परम तेजस्वी ऋषि नारद, चमकते सूर्य की भाँति दिखाई दे रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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