श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 70: भगवान् कृष्ण की दैनिक चर्या  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  10.70.17 
 
 
सुधर्माख्यां सभां सर्वैर्वृष्णिभि: परिवारित: ।
प्राविशद् यन्निविष्टानां न सन्त्यङ्ग षडूर्मय: ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन, भगवान् समेत सभी वृष्णियाँ उस सुधर्मा सभाभवन में प्रवेश करते थे, जो उसमें प्रवेश करने वालों को भौतिक जीवन की छह तरंगों से रक्षा करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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