श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 69: नारद मुनि द्वारा द्वारका में भगवान्  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  10.69.43 
 
 
इत्यर्थकामधर्मेषु कृष्णेन श्रद्धितात्मना ।
सम्यक् सभाजित: प्रीतस्तमेवानुस्मरन् ययौ ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान कृष्ण ने नारद को भरपूर सम्मान दिया और उन्हें आर्थिक समृद्धि, इंद्रियों की तृप्ति और धार्मिक कार्यों से जुड़े तोहफे दिए। ऋषि इनसे पूरी तरह संतुष्ट हुए और भगवान को लगातार याद करते हुए वहाँ से चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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