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अध्याय 69: नारद मुनि द्वारा द्वारका में भगवान्
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श्लोक 36
श्लोक
10.69.36
अव्यक्तलिङ्गं प्रकृतिष्वन्त:पुरगृहादिषु ।
क्वचिच्चरन्तं योगेशं तत्तद्भावबुभुत्सया ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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कहीं-कहीं योगेश्वर कृष्ण वेश बदलकर मंत्रियों और अन्य नागरिकों के घरों में घूम रहे थे ताकि यह जान सकें कि उनमें से प्रत्येक क्या सोच रहा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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