हसन्तं हासकथया कदाचित् प्रियया गृहे ।
क्वापि धर्मं सेवमानमर्थकामौ च कुत्रचित् ॥ २९ ॥
अनुवाद
कहीं भगवान कृष्ण किसी एक पत्नी के साथ हंसी-मजाक करते देखे गए। कहीं वे अपनी पत्नी के साथ धार्मिक अनुष्ठान कर रहे थे। कहीं कृष्ण आर्थिक विकास के मामलों में लगे थे तो कहीं वे शास्त्रों के नियमों के अनुसार गृहस्थ जीवन का आनंद ले रहे थे।