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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 69: नारद मुनि द्वारा द्वारका में भगवान्
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श्लोक 23
श्लोक
10.69.23
तत्राप्यचष्ट गोविन्दं लालयन्तं सुतान् शिशून् ।
ततोऽन्यस्मिन् गृहेऽपश्यन्मज्जनाय कृतोद्यमम् ॥ २३ ॥
अनुवाद
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इस बार नारदजी ने देखा कि भगवान श्रीकृष्ण अपने छोटे-छोटे बच्चों को प्यार करने वाले पिता की तरह लाड़-प्यार कर रहे थे। वहाँ से वे दूसरे महल में गए जहाँ उन्होंने देखा कि भगवान श्रीकृष्ण स्नान करने की तैयारी कर रहे हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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