तं सन्निरीक्ष्य भगवान् सहसोत्थितश्री-
पर्यङ्कत: सकलधर्मभृतां वरिष्ठ: ।
आनम्य पादयुगलं शिरसा किरीट-
जुष्टेन साञ्जलिरवीविशदासने स्वे ॥ १४ ॥
अनुवाद
भगवान धर्म के सबसे बड़े रक्षक हैं। इसकारण जब उन्होंने नारद को देखा तभी तुरंत श्री देवी के पलंग से उठ खड़े हुए, नारद के चरणों पर मुकुट युक्त मस्तक को झुकाया और हाथ जोड़कर मुनि को अपने आसन पर बैठाया।